मुझे होना चाहिए अल्हड़ सी
और तुम समझदार से
मैं करती रहूँ नादानियाँ
और तुम उन्हें हर बार संभालते से
मैं शोर नदी का होती
और तुम शांत सागर से
मैं बक-बक की दुकान सी
और तुम मुझे सुनते से
मैं करती रहती हर सवाल
और तुम जवाब देते चैट जीपीटी से
मैं अगर ख़ुद को खोने लगती
तुम मुझे ढूँढ लाते हर गहराई से
गर मैं कभी शांत हो जाती
तुम अपनी बाहों में मेरी चुप्पी समेट लेते से
——-सुपविचार——-
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