मंगलवार, 9 दिसंबर 2025

मुझे होना चाहिए अल्हड़ सी

 मुझे होना चाहिए अल्हड़ सी 

और तुम समझदार से 

मैं करती रहूँ नादानियाँ 

और तुम उन्हें हर बार संभालते से 

मैं शोर नदी का होती 

और तुम शांत सागर से 

मैं बक-बक की दुकान सी 

और तुम मुझे सुनते से 

मैं करती रहती हर सवाल 

और तुम जवाब देते चैट जीपीटी से 

मैं अगर ख़ुद को खोने लगती 

तुम मुझे ढूँढ लाते हर गहराई से 

गर मैं कभी शांत हो जाती

तुम अपनी बाहों में मेरी चुप्पी समेट लेते से 

——-सुपविचार——-

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