रविवार, 24 मार्च 2013

मजनुओं का जमावड़ा

मेरे कुछ दोस्त है बिलकुल मजनूं टाइप। ज़िन्दगी में एक लड़की, जिससे कभी प्यार हुआ था और फ़िर ब्रेकअप भी हो गया उसे लेकर आज तक रो रहे हैं। कुछ इतने महान आशिक़ है की उम्मीद लगाये बैठे हैं, उनका प्यार लौट कर ज़रूर आयेगा। कुछ ने तो कभी भी शादी ना करने का एलान भी कर दिया। उन्हें समझाना तो जैसे पत्थर पे अपना सिर दे मारना। इस प्यार ने न जाने कितने मजनुओं को शायर बना दिया। एक दोस्त ने तो मुझसे ये तक बोल दिया कि मजनुओं को समझाने के लिए पहले खुद मजनूं बनना पड़ता है।

उफ्फ्फ इतना बड़ा डायलाग, यार ज़िन्दगी ना तो लैला मजनूं की फ़िल्म है और न ही एकता कपूर का कोई सीरियल जहाँ प्यार बार-बार जाकर फ़िर लौटकर आ जाये। यहाँ एक बार जो जाता है फिर कभी लौट कर नहीं आता। सपनों से बहार आओ और देखो इसके परे भी दुनिया है। जब किसी के ज़िन्दगी से चले जाने पर ये हवायें नहीं रूकती, बारिश नहीं सूखती, वक़्त नहीं रुकता तो हमारी ज़िन्दगी कैसे रुक सकती है। लोगों को ये साबित कर देने के चक्कर में की हम ही सबसे बड़े मजनूं है, अपनी आने वाली खुशियों को दाँव पर लगा देना काहे की समझदारी है।
बेचारे माँ-बाप ये सोच के खुश होते है की लड़का हमारे लिए एक सुन्दर, सुशील बहू लेकर आएगा, उन्हें क्या पता उनका होनहार लड़का तो कुछ और ही प्लानिंग कर के बैठा है। एक लड़की के वियोग में जो अब कभी उसकी  नहीं  होगी, उसके लिए शादी न करने की प्लानिंग। वो ताउम्र शादी नहीं करना चाहता सिर्फ़ लड़की को ये साबित करने के लिए कि देखो, हम ही तुम्हारे सच्चे आशिक़, सच्चे मजनूं है, जितना प्यार हम तुम्हें कर सकते हैं कोई दूसरा नहीं कर सकता, इतना की तुम्हारे लिए किसी और लड़की से शादी तक नहीं की। बेवफ़ा तो तुम थी, जो किसी और से शादी करके अपना घर भी बसा लिया।
कुछ मजनुओं के दिल को इस दूरी में भी सुकून मिलता है। बस चले तो सारी उम्र ऐसे ही गुज़र दें, क्यूंकि ताउम्र तो अकेले नहीं गुज़ारी जा सकती इसीलिए दिल को किनारे रख दिमाग से काम लेते हुए शादी कर लेगे, और दिल ने चाहा तो कुछ समय बाद पत्नी से प्यार भी हो जायेगा। पर पहले प्यार की जगह तो पत्नी भी नहीं ले सकती लेकिन समय के साथ वो भी दिल में जगह बना ही लेगी। बेचारी बीवी उसे तो पता भी नहीं कि उसे किस गुनाह की सज़ा मिलने वाली है। 
मैं ये नहीं कह रही की वो सब ग़लत है, हर किसी को हक है अपनी ज़िन्दगी के फ़ैसले लेने का, उसे अपने मुताबिक जीने का। पर हम ये क्यों भूल जाते हैं की हमारी ज़िन्दगी सिर्फ हमारी नहीं होती। उससे और भी बहुत लोग जुड़े होते हैं। हमारे माता-पिता, परिवार सब हमारी ज़िन्दगी का एक हिस्सा होते हैं। उनकी उम्मीदें उनके सपने हमसे जुड़े होते हैं,  जिनको मजनूं बन के झुठलाया नहीं जा सकता।


शुक्रवार, 15 मार्च 2013

उसके जैसी लड़की शायद हर लड़की के अन्दर रहती है...

आज मैं एक ऐसी लड़की से मिली जिसे बचपन से ही सब एक तेज़ तर्रार मुंह फट लड़की के रूप में जानते है।  लेकिन उससे मिलने के बाद पता चला की वो कितनी सीधी और साफ़ दिल है। दुनिया उसे जिस रूप में जानती है वो तो सिर्फ उसका एक पहलू है। उसका दूसरा पहलू जिसे वो हमेशा सबसे छुपा कर रखती है वो तो बिलकुल ही अलग है। सपने देखने वाली, Romantic Films देखने वाली, Romantic गाने सुनने वाली एक आम लड़की, जिसके दिल में सभी के लिए बहुत प्यार है। पर वो इसे कभी किसी के सामने ज़ाहिर नहीं होने देना चाहती। उसने अपने इर्द - गिर्द एक दीवार बना रखी है, जिसके अन्दर न कोई आ सकता है और न ही कोई उसे उस दीवार के बाहर खींच सकता है। हमेशा से ही वो सबके लिए एक पहेली बनकर रही। जिसने भी उसे सुलझाने की कोशिश की वो खुद उसमें ही उलझता गया।

हर लड़की की तरह उसके अन्दर भी एक ऐसी लड़की है जो खुद को आइने में देख कर शरमा जाती है। वो भी चाहती है कोई हो जो लाल गुलाब से उसकी ज़िन्दगी के हर पन्ने को भर दे, उसकी तारीफ में प्यार भरी शायरी पढ़े, FM पर एक Romantic सा गाना उसके लिए dedicate करे। उसे एक लॉन्ग ड्राइव पर ले जाये, उससे नज़रों में बातें करे, और उसे इस तरह देखे जैसे वो दुनिया की सबसे खूबसूरत लड़की हो, जब धूप उसकी आँखों को सताये तो छांव बन कर उसपर बिछ जाये, जिसके काँधें पर सिर रखकर ज़िन्दगी की हर शाम गुज़र जाये। जिसके साथ वो आने वाले कल के सुनहरे सपने बुन सके, जो उसके लिए पूरी दुनिया से लड़ जाये,  जिसके लिए उसका एक एक आंसू मोती के बराबर हो, और उसके चहरे पर एक स्माइल लाने के लिए जो हर मुमकिन कोशिश करे। उसके रूठने पर उसे प्यार से मनाये, सॉरी के कार्ड्स दे, और प्यार से गले लगा कर कहे Jaan You are my Life, I cant live without you and promise I will never let you alone. 

मैंने पुछा उससे, क्या उसे कभी किसी से प्यार हुआ है तो उसका जवाब था हाँ। मैं सोच में पड़ गयी, ऐसी लड़की जो हमेशा खुद में खोई रहती है, जो प्यार से कोसो दूर रहने की नसीहतें देती है, अपनी ज़िन्दगी को बिंदास तरीक़े से जीती है, लडको से बात तो करती है लेकिन उनको अपने आस पास तक फटकने नहीं देती, ऐसी लड़की को किसी से प्यार कैसे हो सकता है??? न जाने क्यों, उसकी बात पर विश्वास करने को दिल नहीं कर रहा था। फिर भी मैं उसकी love Story जानने के लिए बहुत उत्सुक थी। उसे प्यार हुआ था, उसने जिया था उन पलों को जो उसकी ज़िन्दगी में बहुत ख़ास थे। जो उसके दिल के किसी कोने में आज भी एक अच्छी याद बनकर ज़िन्दा हैं। जिनसे वो चाह कर भी नफ़रत नहीं कर सकती। जिनकी याद आज भी उसके चहरे पर कभी आंसू बनकर आँखों से गिरती है तो कभी मुस्कान बनकर होठों पे खिल जाती है।

उससे मिलने के बाद मुझे महसूस हुआ कि उसके जैसी लड़की शायद हर लड़की के अन्दर रहती है। इसी तरह के सपने देखती है और चाहती है कोई हो जो उससे बे-इंतिहा प्यार करे। उसे ऐसी दुनिया में ले जाये जहाँ सिर्फ प्यार ही प्यार हो। बिलकुल एक Fairy tales स्टोरी की तरह।  

सोमवार, 11 मार्च 2013

क्या आप भी अगले जन्म में एक पत्रकार बनना चाहते है?

कुछ समय पहले पढ़ा था, अमिताभ बच्चन अगले जन्म  में एक पत्रकार बनना चाहते है, माफ़ करियेगा पर लगता है अमिताभ जी, संदीप चौरसिया, प्रभु चावला या राजीव शुक्ला जैसे बड़े पत्रकारों से कुछ ज्यादा ही प्रभावित है। और सिर्फ़ वही क्यों आज कल फिल्मों और टीवी सीरिअल्स में जिस तरह से पत्रकारों की छवि को उभार कर प्रस्तुत किया जाता है, कोई भी इससे प्रभावित होकर पत्रकार बनना चाहेगा। और सही भी है आज देश को अच्छे और जुझारू पत्रकारों की बहुत ज़रुरत है।

खैर ये तो हुई एक बात,  अमिताभ बच्चन चाहे तो इस जन्म में भी एक बहुत बड़े पत्रकार बन सकते है क्योंकि उनको तो कोई भी मीडिया हाउस हाथों-हाथ लेगा, ले भी क्यों न उनका नाम ही काफी है। पर लगता है बिग बी अभी तक उन पत्रकारों से मुख़ातिब नहीं हुए है, जो दिन रात एक स्ट्रिंगर के रूप में 5000 रुपए की नौकरी से  अपना घर चलाते है। और यही कोशिश करते है की शायद किसी बड़े चैनल या अख़बार की नज़र उनके काम पर पड़ जाये। उनकी दुर्दशा से शायद अभी वाकिफ नहीं है वो। अगर होते तो कभी भी अगले जन्म में पत्रकार  बनने का ख़्वाब नहीं सजाते।

हर साल बड़ी संख्या में भविष्य के पत्रकारों की फ़ौज निकलती है, आँखों में ढेर सारे सपने लिए हर कोई अपने मुक्कमल जहाँ तक पहुंचना चाहता है। लेकिन सपने उन्ही के पूरे होते है जो जी जान से अपनी मंजिल की तरफ बढ़ जाते है। कुछ स्ट्रिंगर बनकर रह जाते है तो कुछ असमानों में ऊँची उड़ाने भरते है।

उम्मीद करते है की बिग बी को अगले जन्म में एक स्ट्रिंगर के दर्द से रूबरू न होना पड़े वरना वो भी अपने पिछले जन्म को कोसते की नज़र आयेंगे।

गुरुवार, 7 मार्च 2013

"कुत्ते तेरे घर में माँ बहन नहीं है क्या"

प्यार के लिए सिर्फ एक दिन valentines day काफी नहीं होता, दोस्ती के लिए एक दिन Friendship day  भी कम पड़ जाता है, तो महिलाओं की इज्ज़त करने के लिए मात्र एक दिन Womens Day ही क्यों? क्यों हर दिन उनकी इज्ज़त नहीं की जा सकती। कल 8 मार्च को महिला दिवस है और आज दिल्ली में 24 घंटे के अन्दर बलात्कार के 7 मामले सामने आये, हर अख़बार और न्यूज़ चैनल में यही छाया हुआ है की फिर शर्मसार हुई दिल्ली। सिर्फ दिल्ली ही नहीं महाराष्ट्रा,उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड यूँ कह ले की पूरे देश में आज बलात्कार करना तो जैसे वीरता साबित करने का एक तमगा बन गया है। 

कुछ दिन पहले सरकार ने महिलाओं के लिए एक अलग बैंक खोलने का एलान कर दिया। पर क्या सिर्फ इतने भर से उनकी ज़िम्मेदारी पूरी हो जाती है। जबकि मुझे नहीं लगता किसी भी बैंक में महिलाओं को किसी भी असुविधा का सामना करना पड़ता है, हां  बैंक तक पहुँचते पहुँचते ज़रूर कई दिक्कतों से रूबरू होना पड़ता है। मसलन लड़कों का पीछे पड़ जाना, उनके द्वारा अपने ऊपर कमेंट्स पास होना, और भी बहुत कुछ जिसे समझने के लिए लड़की होना ज़रूरी है। 

फिल्मों का एक बहुत पुराना डायलाग है, "कुत्ते तेरे घर में माँ बहन नहीं है क्या". पर आज यही माँ बहन गाली का रूप बन गयी है। तेरी माँ की, तेरी बहन की जैसी भाषा तो आम बात है। पर बात जब अपनी माँ और अपनी बहन की आती है तो बन जाते है बॉडीगार्ड। क्यूंकि अपनी नस्ल तो हर कुत्ता पहचानता है। फिर क्यूँ किसी और लड़की पर हर समय नियत ख़राब रहती है। क्यूँ उसकी इज्ज़त से खिलवाड़ करते समय अपने घर की इज्ज़त याद नहीं रहती। क्यूँ इनकी नींव घर से ही मजबूत नहीं की जाती। क्यूँ एक माँ अपने बेटे को लड़कियों की इज्ज़त नहीं सिखा पाती। क्यूँ सरकार इनके खिलाफ़ कभी कोई कड़े कदम नहीं उठा पाती। 

सवाल तो बहुत है पर इनके जवाब किसी के भी पास नहीं है। हर साल 8 मार्च आयेगा और उसी के साथ हर साल बलात्कार के मामले भी बढ़ते जायेगे। मगर इंसाफ कभी भी हाथ नहीं आयेगा। 

 

शनिवार, 2 मार्च 2013

जाने क्या चाहे मन बावरा


कभी कभी न मूड एकदम अच्छा सा होता है। कुछ बुरा हो तो भी लगता है अच्छे के लिए हुआ होगा। जिससे हमारी कभी नहीं बनती उसकी भी हर बात सहन हो जाती है। चहरे पर हर समय एक धीमी मुस्कान सी छाई रहती है। एक अनजानी सी ख़ुशी में मन गुनगुना रहा होता है। लोग पागल भी समझने लगते है, सोचते है हम मुस्कुरा किस बात पर  रहे है। कुछ लोग हमे हँसता, मुस्कुराता देख कर जल भुन भी जाते है। और हम जाने अनजाने उनके अच्छे भले मूड को ख़राब कर देते है।

हमारे अच्छे मूड की कई वजह हो सकती है। जैसे धुप से भरे मौसम में अचानक बारिश हो जाना, या फिर सुबह सुबह कोई अच्छा सा कॉम्पलिमेंट मिल जाना। बॉस का हमारे काम की तारीफ़ कर देना, और ऑफिस से छुट्टी का पास हो जाना। वजह जो भी हो ज़रूरी है खुश रहना। कोई क्या सोचता है इसकी परवाह किये बिना, हर पुराने ज़ख्म को ठेंगा दिखाते हुए, आने वाले पल और खुशियों का बाहें फैलाकर स्वागत करते हुए, हमारा मन उड़ रहा होता है कभी सपनों के बदल में, कभी खुले आकाश में, कभी प्यार की उचाईयों में तो कभी सच के आँगन में।


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