गुरुवार, 14 नवंबर 2013

कसूर सिर्फ इतना था मेरा कि बेटी हूँ मैं


क्यों विदा कर दिया मुझे ब्याह से पहले
छीन ली माँ की गोद जन्म लेने से पहले 
कसूर सिर्फ इतना था मेरा कि बेटी हूँ मैं 
राह में फेंक दिया मुझे, 
आँखें खुलने से पहले 
अनजान थी माँ तेरे प्यार से मैं 
क्यों सुला दिया मुझे लोरी सुनाने से पहले
कसूर सिर्फ इतना था मेरा कि बेटी हूँ मैं
रुसवा कर दिया अपने आँचल से मुझे
क्यूँ कर दी ज़िन्दगी की शाम, सुबह होने से पहले
पालना तेरा बुलाता है मुझे माँ 
क्यों फर्श पर छोड़ दिया मुझे 
चलना सीखने से पहले 
कसूर सिर्फ इतना था मेरा कि बेटी हूँ मैं 
प्यार मेरे दिल में भी कम नहीं
एक मौका देकर तो देखती माँ
आंसू तेरा कभी गिरने न देती 
मेहनत तेरी मैं बांट लेती 
अपने पैरों में बंधी पायल की छन-छन से 
घर में रौनक मैं ला देती 
पर तूने माँ ना जन्मा मुझे 
दूर कर दिया खुद से पास आने के पहले
कसूर सिर्फ इतना था मेरा कि बेटी हूँ मैं 
जीने का एक मौका देकर तो देखती माँ
तेरे आंगन की धूप बन जाती
तो कभी पेड़ की ठंडी छाँव बन बिछ जाती
ना बनती कभी बोझ तुम पर
तेरे बुढ़ापे का सहारा मैं बन जाती
क्यों उजाड़ दी बचपन की बगिया खिलने से पहले 
कसूर सिर्फ इतना था मेरा कि बेटी हूँ मैं.... 
 














शुक्रवार, 1 नवंबर 2013

उल्लू चालीसा


उल्लू चालीसा..
सहयोगी- मनीष तिवारी
उल्लू बन गए उल्लू बन गए
बाबा जी के ठुल्लू हो गए
उल्लू बनकर उड़ने लग गए
लक्ष्मी जी की सवारी बन गए
उल्लू बनके मौज उड़ावैं
सारे जग को वो भरमावैं
अब धरती पे टिकते नहीं पांव
जब से इनके पंख लग गए
उल्लू बन गए उल्लू बन गए
उल्लू बनकर उल्लू हो गए
बाबा जी के ठुल्लू हो गए
लक्ष्मी-लक्ष्मी करें पुकारा
जो कोई आवे, जो कोई जावे
सब पर कृपा इनकी होवे
टुकु टुकुर ये करें निहारा
आँखे बड़ी करके बोले
उल्लू बन गए उल्लू बन गए
बाबा जी के ठुल्लू हो गए
धन की लालसा जिसको होवे
उल्लू बनके पेड़ा खावे
सारा माल यहीं पचाते
जो कोई बनता सयाना मुर्गा
उसको दाना यहीं चुगाते
चाणक्य बुद्धि ये लगाते
सारी लक्ष्मी घर ले जाते
उल्लू से जो बैर हैं लेते
लक्ष्मी जी से हाथ हैं धोते
सुबह शाम करो इनका ध्यान
बन जावेंगे बिगड़े काम
जो न इनका ध्यान करते
रह जाते वे हाथ मलते
दिन में फुर्र रात को गाते
उल्लू बन गए उल्लू बन गए
बाबा जी के ठुल्लू हो गए....