मंगलवार, 9 दिसंबर 2025

पिता को मौक़ा तो दीजिए

 मैनें अपनी उम्र की बहुत सी माओं को ये कहते सुना है कि बच्चों के मामले में उन्हें अपने पति पर भरोसा नहीं है। वो अपने बच्चे को एक दिन के लिए भी उनके पापा के भरोसे छोड़कर कहीं नहीं जा सकतीं। पता नहीं वो उन्हें ठीक से रखेंगे या नहीं, टाइम पर खाना खिलाएंगे, सुलायेंगे या नहीं आदि। 


उन माओं के लिए मेरा इतना ही मानना है कि आप अपने पति को कुछ ज्यादा ही अंडरअस्टिमेट करती हैं। क्या पता आपकी गैर हाजरी में वो बच्चे का ख्याल आपसे ज्यादा अच्छे से रखें। आखिर वो आज के जमाने के पिता हैं, बच्चों के लिए सब कुछ करते हैं। आपको बस उनके ऊपर ट्रस्ट करना है, जैसे मैं करती हूं। 


मैं ढाई साल के आदी को उसके पापा के पास छोड़कर 2 दिन के लिए जयपुर चली गई थी। ज़रूरत पड़ी तो दोनों बच्चों को एक साथ छोड़ सकती हूं। क्योंकि मुझे पता है, वो बच्चों का ख्याल रख लेंगे। 


अब आप कहेंगे कि मेरे लिए कहना आसान है क्योंकि मेरे पति कर लेते हैं। तो मैं आपसे यही कहूंगी कि आपने तो अपने पति को कभी कुछ करने ही नहीं दिया। आप उन्हें मौका तो दीजिये। बिना मौका दिए ये सोच लिया कि वो बच्चों का ख्याल नहीं रख पाएंगे। 


मुझे याद है मेरी एक दोस्त अपनी 6 साल की बेटी को पति के साथ छोड़कर 2 दिन के लिए काम से कहीं गई थी। बहुत सोच रही थी कि पता नहीं दोनों मेरे बिना कैसे रहेंगे। मगर जब वो वापस गई तो पता चला दोनों ने उसके बिना बहुत अच्छे से मैनेज किया। अब वो बेफिक्र होकर निकल जाती है, अकेले घूमने भी। 


तो आपको बस एक कदम उठाने की ज़रूरत है। विश्वास का कदम। हर पिता बहुत काबिल होता है। अपने बच्चों के लिए जब दिनरात घटकर वो कमा सकता है, तो उन्हें पाल भी सकता है। तो उनके लिये ये सोचना कि वो बच्चों का ख्याल नहीं रख पाएंगे, आपकी एक कोरी कल्पना भर है और कुछ नहीं।


ये ज्ञान नहीं है, प्रैक्टिकल बात है, खुद के अनुभव की। आप भी आज़मा कर देखिएगा।

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