मुझे पता है,
तुम बहुत हिम्मत वाली हो
मगर अपनी शक्ति का
इतना भी प्रदर्शन मत करो
कि लोग तुम्हारे मौन को भी कमज़ोरी समझ लें।
मुझे पता है,
तुम हर काम कर सकती हो
मगर अपने कंधों पर इतना बोझ मत लादो
कि मुस्कान का वज़न भी भारी लगने लगे।
मुझे पता है,
तुम्हें अपने बच्चों से बहुत प्यार है
मगर इतना भी प्यार मत करो
कि तुम उन्हें ‘पर’ देना ही भूल जाओ।
मुझे पता है,
तुम पहाड़ भी चढ़ सकती हो
मगर चढ़ते समय
अपनी रस्सी इतनी कमजोर भी मत रखना
कि कोई तुम्हें वापस नीचे खींचने की कोशिश करे।
मुझे पता है,
तुम डरती नहीं किसी संकट से
मगर संकट को इतना भी मत बढ़ा लेना
कि वो ज़िंदगी का हिस्सा बन जाए।
मुझे पता है,
तुम स्त्री हो,
मगर अपने वजूद को
इतना भी हल्का मत बना लेना
कि ख़ुद अपनी पहचान ही भुला दो।
क्योंकि हर बार सबको साबित करने की ज़रूरत नहीं होती,
कभी-कभी बस खुद को याद रखना ही काफ़ी होता है।
——सुपविचार——
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें