8 नवम्बर 2016, भारतीय इतिहास में वह तारीख़ जिसने भारत देश की अर्थव्यवस्था को ही पलट कर
रख दिया. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा पांच सौ व हज़ार के नोटों पर प्रतिबंध
लगाने की अचानक हुई घोषणा ने पूरे देश को हिला कर रख दिया. यह काले धन को ख़तम करने
के लिए धन पर प्रधानमंत्री द्वारा की गयी एक सीधी चोट थी, जिसकी चपेट में हर खास व
आम आदमी आ गया.
नोटबंदी के बाद से ही कैशलेस यानि बिना नकदी इस्तेमाल
किये लेनदेन व खरीद फ़रोख्त की सलाह सरकार द्वारा दी जाने लगी. इसके लिए केंद्र
सरकार देश में कैशलेस इकॉनमी को बढ़ावा देने के लिए कई योजनायें चला रही है. लेकिन
इसके बावजूद क्या भारत सचमुच कैशलेस इकॉनमी के लिए तैयार है?
क्या है कैशलेस
लेनदेन- कैशलेस इकॉनमी का मतलब होता है एक ऐसी अर्थव्यवस्था जहाँ पर कैश का
प्रयोग ना के बराबर होने के साथ ही सभी प्रकार के लेनदेन सिर्फ व सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक
माध्यम के ज़रिये होते हो. क्यूंकि भारत देश अभी तक भारी मात्रा में कैश का यूज़
करता आया है इसीलिए कैशलेस लेनदेन में एडजस्ट होना भारत के लिए एक बड़ी बात है.
इसके लिए इन सभी माध्यमों की जानकारी होना ज़रूरी है.
Credit Card, Debit Card, IMPS, NEFT, RTGS, cheque व पेमेंट एप्स
द्वारा किये जाने वाले सभी ट्रांजेक्शन कैशलेस लेनदेन का हिस्सा है. इन सभी
माध्यमों के ज़रिये बिना बैंक जाये घर बैठे ही अपने खाते से किसी के भी खाते में
पैसे ले या भेजे जा सकते है. चाहे तो रोज़मर्रा के जीवन में काम आने वाली चीज़ों के लिए भी इनका
यूज़ किया जा सकता है.
अपने फ़ोन में Paytm, mobikwik, freecharge, phonepe व UPI जैसी एप्लीकेशन डाउनलोड करके शॉपिंग, इलेक्ट्रिसिटी, पानी, डी2एच, बीमा
किश्त आदि का पेमेंट घर बैठे ही आसानी से कर सकते है. समय के बदलते रुख को देखते
हुए अब शहर के साथ कस्बों व गावों की फेमस दुकानों पर भी Paytm व स्वाइप मशीन द्वारा लेनदेन किया जाने लगा है.
इसके लिए अब जेब में हर समय कैश रखकर चलने की ज़रूरत भी नहीं पड़ेगी.
कैशलेस के फायदे-
पॉकेट फ्रेंडली-
सरकार और Paytm, Freecharge, phonepe, व UPI जैसी कई
एप्लीकेशंस समय-समय पर कस्टमर्स को कैशलेस भुगतान पर discount व cashback जैसे
ऑफर्स देती रहती है. साथ ही snapdeal, flipkart, amazon जैसी कई शॉपिंग वेबसाइट्स
भी है जो ऑनलाइन पेमेंट करने पर discount देती है. इससे COD पर होने वाला
एक्स्ट्रा खर्च भी बच जाता है. इसके अलावा ऑनलाइन पेमेंट करने पर सभी पेमेंट का
रिकॉर्ड बैंक में सेव हो जाता है. जिससे यह याद रखने की ज़रूरत नहीं की कब कहाँ और
कितना खर्च किया था.
समय की बचत- कैश निकलने के लिए बैंक के चक्कर लगाने हो,
एटीएम की लाइन में खड़े रहना हो या बिजली का बिल जमा करने जैसे कई काम है जिसमे हम
अपनी ज़िन्दगी के अनमोल पल गवांते आये है. कैशलेस ट्रांजेक्शन करने से हमें कैश की ज़रूरत नहीं रहती जिससे समय की काफी
बचत होती है.
सिक्यूरिटी- घर पर तिज़ोरी में रखा कैश हो या
फिर जेब में कैश लेकर सफर करना हो, हर समय मन में सुरक्षा को लेकर डर बना रहता है.
साथ ही चोरी व छीना झपटी का ख़तरा भी सर पर मंडराता रहता है. इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजेक्शन ऐसे किसी भी तरह के खतरे से हमे दूर रखते है. और अगर कार्ड खो भी जाता है तो तुरंत बैंक
में फोन करके कार्ड ब्लॉक भी करवा सकते है.
टैक्स कलेक्शन- भारी मात्रा में यूज़ किया जाने वाला कैश
कालेधन व भ्रष्टाचार का मुख्य कारण है. जिससे सरकार को टैक्स कलेक्ट करने में
समस्या आती है. देश में इनकम टैक्स देने का बोझ नौकरी पेशा लोगों पर ज्यादा पड़ता
है जबकि बिजनेस क्लास अपनी आय छुपाने में काफी हद तक सफल हो जाता है. कैशलेस ट्रांजेक्शन होने पर आय व्यय की सभी जानकारी ऑनलाइन हो
जाती है. जिससे सरकार द्वारा टैक्स कलेक्शन में बढ़ोत्तरी होती है.
भ्रष्टाचार- भारत जैसी बड़ी आबादी व विशाल देश में
भ्रष्टाचार पर लगाम कसना आसान नहीं है. कैशलेस इकॉनमी की वजह से भ्रष्टाचार में
कमी आ सकती है. क्यूंकि भारत ज्यादातर भ्रष्टाचार की गतिविधियाँ कैश में ही होती
है. सरकारी महकमे में घूस देनी हो या स्कूल में एडमिशन के लिए डोनेशन देना हो, ऐसे
कई काम है जो सिर्फ कैश में ही अंजाम दिए जाते है. आंकड़े बताते है कि जिन देशों ने
कैशलेस इकॉनमी को अपनाया है वहां भ्रष्टाचार बेहद कम है.
कैशलेस के नुकसान-
साइबर फ्रॉड- देश में साइबर सिक्यूरिटी के पुख्ता इंतजाम
ना होने से लोगों के अकाउंट से पैसे चोरी होने का खतरा बना रहेगा. हालाँकि भारत
सरकार दूसरे देशों के साथ मिलकर इस पर काम कर रही है.
सेवा शुल्क- कई भुगतान जैसे कि रेलवे, मोबाइल वॉलेट पर
भी कुछ फ़ीसदी तक ट्रांजेक्शन चार्ज वसूला जाता है. इसके अलावा
कई क्षेत्र जहाँ पर व्यापारियों का मार्जन कम होने के कारण वह बैंक द्वारा लगाये
गए शुल्क का वहन नहीं कर पाते हैं व हड़ताल जैसे कदम उठाने की धमकी देते है जिसका
भुगतान आम जनता को होता है.
अशिक्षित आबादी का शोषण- भारत देश में एक बड़ा तबका अभी
भी शिक्षा से दूर है ऐसे में अशिक्षित लोगों द्वारा कैशलेस सुविधा का फायदा उठाना
बहुत मुश्किल है. साथ ही देश में मौजूद असामाजिक तत्वों द्वारा इन लोगों का शोषण
करना आसान होगा.
कैशलेस लेनदेन को भारत में बढ़ावा देने पर आने वाले इन
सभी फायदे व नुकसान के बाद भी देश की अर्थव्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए कैशलेस
इकॉनमी सरकार द्वारा उठाया जाने वाला एक साहसी कदम है. जिसके रास्ते में सरकार के
आगे अभी कई चुनौतियाँ है. मसलन, नोटबंदी पर दूसरी राजनैतिक पार्टियों द्वारा लगातार
किया जाने वाला विरोध, छोटे व्यापारियों द्वारा अभी भी कैश का यूज़ किया जाना, लोगों
के अन्दर टैक्स बचने की आदत, अशिक्षित आबादी
तक कैशलेस सुविधा के माध्यमों की कमी, गावों तक इन्टरनेट व स्मार्ट फ़ोन का ना
पहुंच पाना, सरकार द्वारा धन-जन योजना चलाये जाने के बाद भी गरीब तबके का बैंक में
अकाउंट ना होना, साथ ही कार्ड यूज़र्स के अन्दर बैठा यह डर कि इसके यूज़ से उन्हें
शुल्क के रूप में अधिक धन व्यय करना पड़ेगा जैसी कई चुनौतियाँ सामने है जिनका हल
निकलने में सरकार को अधिक समय लग सकता है.