ख़्वाबों की एक दुनिया है
इस दुनिया में कई ख़्वाब हैं
करते हैं हमसे बातें
ये अरमानों की वो किताब हैं,
ख़्वाबों को कोई तस्वीरों मैं कैसे क़ैद करे
ये तो उड़ते हैं मन के आँगन में
लब्ज़ बना कर ख्वाबों को कोई कैसे बयां करे,
हर ख़्वाब की ऊंची है बोली
चुकानी पड़ती है जिनकी कीमत ऊंची,
अजब हैं कायदे दुनिया के
कोशिश करते हैं यहां सब
ख़्वाबों को मिट्टी में मिलाने
फ़िर भी चलते रहते हैं हम
ख़ुद के कदम दुनिया से मिलाने,
जो ख़्वाब देखते हैं बंद आंखों से
उन्हें याद रखने की कोशिश करते नहीं
पर जो ख़्वाब देखते हैं खुली आंखों से
उन्हें खुद से जुदा होने देते नहीं,
मुठ्ठी में बंद ख़्वाबों को कर दिया है आज़ाद
फर्क नहीं पड़ता हमें अब दिन हो या रात
हमें तो बस पूरे करने हैं अपने "थिरकते ख़्वाब"
Bahut achcha likha....
जवाब देंहटाएंThank You... :-)
जवाब देंहटाएंsuperb
जवाब देंहटाएंThank You
हटाएंहर ख़्वाब की ऊंची है बोली
जवाब देंहटाएंचुकानी पड़ती है जिनकी कीमत ऊंची,
bahut khub
Thnak you so much Kalaa Shree Ji
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