बुधवार, 8 नवंबर 2017

नोटबंदी के बीच फंसी "मेरी शादी"


पिछले साल नवंबर के महीने में दो बड़ी घटनाएं घटी थी. पहली आज है, नोटबंदी की सालगिरह और दूसरी कुछ दिन बाद है, मेरी शादी की सालगिरह. जहाँ नोटबंदी ने पूरे देश के लोगों में भूचाल ला दिया वहीं शादी का समय नज़दीक होने के चलते दोनों परिवारों की ज़िन्दिगियों में भी भूचाल आ गया था. वजह वही थी, नोटबंदी. शादी में सिर्फ़ 17 दिन बचे थे और मैरिज हॉल से लेकर केटरर्स, फ़ोटोग्राफर और बैंड वालों सहित बहुत से कामों के बिल पेंडिंग थे. सभी को कैश में पेमेंट चाहिए थी. क्यूंकि पक्के बिल बनाने से सभी बच रहे थे. सच बात तो ये थी कि कानपुर शहर में सारे बिल की पेमेंट चेक या कार्ड से हो भी नहीं सकती थी. कैश ज़रूरी था. ऐसे में पापा और मामा का बीपी हाई होना शुरु हो चुका था. वो सोच में पड़ गए थे कि अब क्या होगा?

और फिर शुरू हुआ बैंक के चक्कर लगाने का चक्कर. नोट बदलने और कैश निकालने की आफ़त. वहां भी एक बार में ज़्यादा नोट नहीं बदल सकते थे और न ही ज़्यादा रूपए निकल सकते थे. किस्मत से मुझे लाइन में कभी नहीं लगना पड़ा. क्यूंकि सरकार ने इस बात की सहूलियत दे दी थी कि जिसकी शादी है वो अगर शादी का कार्ड दिखायेगा तो उसे बैंक में डायरेक्ट एंट्री मिल जाएगी। मैंने भी इसी सहूलियत का फायदा उठाया और लाइन से छुटकारा पाकर पहली बार किसी बैंक में वी.आई.पी ट्रीटमेंट पाया। कुछ ऐसा ही हाल मेरी ससुराल में भी हो रखा था.

घर में सब अक्सर कहते हैं कि सोनी का काम हो और कोई ट्विस्ट न आए, ऐसा तो हो ही नहीं सकता. फिर तो ये मेरा सबसे बड़ा काम था, मेरी 'शादी' थी.  नोटबंदी के बाद तो मेरे पतिदेव भी इस बात पर थोड़ा-थोड़ा विश्वास कर करने लग गए थे. ;-) ;-) ;-) ;-) ;-) ख़ैर, जब बैंक की लिमिट भी ख़तम हो गयी तो उसके बाद शुरू हुआ कानपुर का ऐतिहासिक तरीका "जुगाड़". सच में, हम कानपुर वालों के लिए जुगाड़ बिना फेल हुए हमेशा काम करता है. हमने अपने रिश्तेदारों के अकाउंट में पैसा  ट्रांसफर किया और लगा दिया सबको बैंक की लाइन में. पहली बार नोटबंदी ने यह एहसास करा दिया था कि बेटी की शादी में सिर्फ पिता को ही नहीं सारे रिश्तेदारों को अपनी चप्पलें घिसनी पड़ती है. जैसे-तैसे शादी निपट गई और इस महीने मेरी शादी की घटना को पूरे एक साल भी हो जायेंगे लेकिन आज नोटबंदी की सालगिरह ने उन सभी यादों को ताज़ा कर दिया जो उस समय किसी समस्या से कम नहीं थीं.   

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