मंगलवार, 1 अप्रैल 2014

नज़रों का सुकून, कसौली

कभी कभी कुछ नज़ारे हमें निशब्द कर देते है... हिमांचल प्रदेश में कसौली हिल्स इसकी जीती जागती मिसाल है...कसौली में कुदरत के द्वारा रची बसी खूबसूरती को देखकर मैं भी स्तब्ध थी...मानो शब्दों ने नाता ही तोड़ लिया हो मुझसे...
घुमाव दार रास्ते... सामने बादलों का झुंड... उसपर बारिश की बूँदें... एक अलग ही एहसास जगा रहीं थी... करीब आते पहाड़ों पर बादलों से घिरी चादर देखते ही बनती थी... और हां पहली बार चर्च जाने का मौका भी मुझे कसौली में ही मिला...हालाँकि तेज़ बारिश के चलते मैं सनसेट पॉइंट नहीं जा सकी...उसका अफ़सोस ज़रूर रहेगा...
आँखों में बसे उन बेमिसाल बे-इन्तेहां खूबसूरत नज़ारों के लिए शब्द होते तो ज़रूर उनकी माला पिरोकर उन्हें ही समर्पित कर देती... पर कहते है न एक तस्वीर हज़ार शब्दों के बराबर होती है...तो बस...पहाड़, बादलों और बारिश के साथ तस्वीरें लेने में ही मशरूफ़ हो गयी...





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