शनिवार, 12 अप्रैल 2014

देश चलाने में और मनोरंजन करने में फर्क होता है...



मेरे पापा को ह्रितिक रोशन कभी पसंद नहीं आते... टीवी पर उनकी फिल्म या इंटरव्यू आता  तो तुरंत मुझे हटाने को बोल देते... उसी जगह अभिषेक बच्चन की हर फिल्म बड़े चाव से देखते... वजह साफ़ थी... अभिषेक इलाहाबादी कायस्थ व महानायक अमिताभ बच्चन के सुपुत्र है... पर उसके उलट मुझे हृतिक उतने ही पसंद है... उनकी फ्लॉप फिल्मों को भी मैं बार बार देख सकती हूँ... वजह फिल्म कैसी भी हो उसमे हृतिक तो है...

मुझे याद है... साल 2000 में जब कहो न प्यार है पर्दे पर उतरी थी...उस समय मैं सातवीं क्लास में पढ़ रही थी... टीवी पर हृतिक का पहला इंटरव्यू देखते ही मैंने तय कर लिया था की पत्रकार ही बनना है... क्यूंकि यही एक रास्ता था जिसके ज़रिये मैं भीड़ में नहीं बल्कि अलग से साथ बैठकर उनसे बातें कर सकती थी... उनकी पसंद नापसंद पूछ सकती थी... उनके बारे में हर जानकारी लेना जैसे मेरी आदत में शुमार हो चुका था... उनकी आँखे जैसे हर बार कुछ कह जाती है... उनको लेकर मेरे मन मैं कभी ये नहीं आया की काश मेरी उनसे शादी हो जाये... बल्कि हमेशा यही आता की काश हृतिक मुझे अपनी बहन बना ले... क्यूंकि  उनकी बहन के साथ उनके प्यार के बारे में मैंने बहुत कुछ पढ़ रखा था...

खैर, ऐसे ही उनके बारे में पढ़ते हुए मुझे पता लगा की हृतिक भी वास्तव में कायस्थ ही है... उनके दादा जी का नाम रोशन भटनागर था... जिसे बाद में उनके पिता ने अपना सरनेम बना लिया और राकेश भटनागर से राकेश रोशन बन गए... ये बात जैसे ही मैंने पापा को बताई वैसे ही उनके ख़यालात हृतिक के बारे में बदल गए... अब उन्हें ह्रितिक की फ़िल्में पसंद आने लगी... और अब तो वो मुझे भी टीवी पर उनकी फिल्म या इंटरव्यू देखने से नहीं रोकते... यहाँ तक की हृतिक का रिश्ता टूटने से जितना दुःख मुझे हुआ... उतना ही खेद पापा ने भी जताया...

आजकल इलेक्शन को लेकर भी लोगो की सोच कुछ इसी तरह से ही सामने आती है... जात या धर्म के आधार पर वोट देने के लिए जब पापा से मैंने इस बात पर चर्चा की, तो उनका साफ़ कहना था... बेटा देश चलाने में और मनोरंजन करने में फर्क होता है... अभिनेता तो हम अपने अनुसार पसंद कर सकते है... क्यूंकि उनका काम मात्र हमारा मनोरंजन करना होता है... लेकिन नेताओं को जात या धर्म के आधार पर वोट देना गलत है...

पापा की बात मेरी समझ में आ गयी... लेकिन एक अफ़सोस ज़रूर है की मैंने पत्रकार बनने की राह तो पकड़ ली... पर अभी तक हृतिक का इंटरव्यू लेने का सपना पूरा नहीं हुआ... पता नहीं और कब तक इस सपने का पूरा होने का इंतजार करना पड़ेगा...   

6 टिप्‍पणियां:

  1. kahin aisa na ho ek din Hrithin tumhe mil...aur aapki bolti "bandh" ho jaaye aur chakkar aane laage...
    woh angrezi mei kehte hai na "weak knees" !!
    Raj Mourya

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  2. That's strange...
    In your profile you mentioned only one hrithik movie....
    Raj

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  3. Firstly thnx apne mere article ko read kiya aur usper feedback b diya.... but Y strange.... Maine ye article hrithik ki movies per nai likha hai... kisi din mauka Mila to unki movies k bare me likh kar ye shikayat bhi door kr dungi...

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  4. Aur rahi baat Hrithik se mil k chakkar aane ki.... to Iss golden chance ko main weakness lake gawaungi nai...

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