शनिवार, 26 सितंबर 2020

दर्द भी दोस्त बन जाता है

दर्द जब हद से बढ़ जाता है
तो दर्द भी अपना दोस्त बन जाता है। 
मुश्किलें यूं ही नहीं आती ज़िंदगी में 
हर मुश्किल में एक सबक छुपा होता है।
आज खुशियां और ग़म एक साथ मिल बैठे हैं
अपने चेहरे की मासूम मुस्कान से 
वो हर ग़म को भुला देता है। 
वक़्त मुश्किल है तो क्या हुआ, 
वक़्त मुश्किल है तो क्या हुआ। 
उसे फिर देखने की आस ने ही तो हौसला बढ़ा रखा है। 
वो जब देखता है मुझे चमकती आंखों से
मानो हर ग़म को धूल चटा देता है। 
पल भर में उसकी खिलखिलाहट से 
घर का कोना-कोना गूंज जाता है।
दर्द जब हद से बढ़ जाता है
तो दर्द भी अपना दोस्त बन जाता है।

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