एक
हैप्पी वाला बर्थडे क्या होता है? पूरे दिन घूमना, मस्ती करना और
शाम को दोस्तों व परिवार संग जम कर पार्टी
करना या फिर शहर से कहीं दूर घूम आना. मेरे साथ ऐसा कुछ भी नहीं हुआ, फिर
भी मेरा ये बर्थडे सबसे खास रहा। एकदम हैप्पी वाला बर्थडे। कहीं गुनगुनी धूप में
घंटो बैठकर पतिदेव के संग बातें की तो कहीं सड़क किनारे गरम-गरम मैगी और ऑमलेट के
मज़े लिए. उस दिन एक बात तो अच्छी तरह समझ आ गई, जिस
दिन को प्लान नहीं किया जाता वही दिन सबसे अच्छा
बीतता है। क्यूंकि उसमें हमे पता नहीं होता कि आगे क्या होने वाला है. जानती हूँ पोस्ट
डालने में थोड़ी देर हो गयी पर कहते हैं न...देर आये पर दुरुस्त आये.
वैसे
तो हमारा प्लान कहीं और घूमने का था. पर भूख लगी तो लंच करने मंडी हाउस उतर गए.
मंडी हाउस में त्रिवेणी संगम मेरी फवरेट जगह में से एक है. त्रिवेणी संगम के ओपन
थिएटर में गुनगुनी धूप का आनंद लेते हुए कब हमारा नंबर आ गया पता ही नहीं चला और
बस लंच करने के बाद वहीँ हमारा मन डोल गया और हमने आगे का प्लान कैंसिल कर मंडी हाउस
में पैदल ही तफ़री मारने की सोच ली. उस दिन हम मंडी हाउस की हर सड़क, हर गली घूमे. एक
अलग ही नशा है वहां का. सड़क किनारे बैठे गिटार बजाते लोग हों या स्केचिंग करते
लोग. तो कहीं बीच पार्क में यूँ ही प्ले की प्रैक्टिस करते हुए अपनी ही धुन में कई
लोग. यहाँ सब अनोखे हैं. एकदम अलग ही दुनिया है यहाँ की. कला और प्रतिभा का अनोखा
संगम.
वहीँ
तफ़री मारते हुए दीवारों पर हमें बहुत से आने वाले प्लेज़ की होर्डिंग्स भी देखने को
मिली. जिनमें से फ़रवरी में आने वाले दो शो देखने तो हमने अभी से डिसाइड कर लिए.
खैर वहां जो सबसे क्रिएटिव होर्डिंग लगी, वो थी ‘’हजामत’’ की. जैसा की नाम से ही
साफ़ है कि ये किसी नाई से सम्बंधित कहानी होगी. इसीलिए लगाने वाले ने इसकी
होर्डिंग भी शीशे की लगाई. जो कि अपने आप में काफ़ी इनोवेटिव थी. उस दिन वहां घूमते
हुए हम ललित कला अकादमी में लगी आर्ट एक्जीबिशन में भी गए. बाकी लोगों का तो नहीं
पता लेकिन मैंने इतनी अच्छी आर्ट एक्जीबिशन
पहली बार देखी थी.
मेरे
लिए ये सारे अनुभव एकदम नए थे. हो सकता है कि मुझे दिल्ली शहर से प्यार करने में
अभी कुछ और वक़्त लग जाये लेकिन लग रहा है मुझे मंडी हाउस से प्यार ज़रूर हो चुका है.
एक अलग ही दुनिया बसती है यहाँ. जिसे हम दोनों ही एन्जॉय करते हैं. खैर, यहाँ सबसे
ज्यादा अगर किसी चीज़ को मिस किया तो वो थी साइकिलिंग. पूरा दिन मंडी हाउस में
बिताकर यहाँ से बहुत सी अच्छी यादें लेकर मैं और मेरे पतिदेव वापस घर की ओर रवाना हो
गए. इस वादे के साथ कि अगली बार आएंगे तो साइकिलिंग ज़रूर करेंगे. और पूरा मंडी
हाउस साइकिल से घूमकर इंडिया गेट तक जायेंगे. तो हुआ न ये मेरा ‘’हैप्पी वाला
बर्थडे’’.