क्यों विदा कर दिया मुझे ब्याह से पहले
छीन ली माँ की गोद जन्म लेने से पहले
कसूर सिर्फ इतना था मेरा कि बेटी हूँ मैं
राह में फेंक दिया मुझे,
आँखें खुलने से पहले
अनजान थी माँ तेरे प्यार से मैं
क्यों सुला दिया मुझे लोरी सुनाने से पहले
कसूर सिर्फ इतना था मेरा कि बेटी हूँ मैं
रुसवा कर दिया अपने आँचल से मुझे
कसूर सिर्फ इतना था मेरा कि बेटी हूँ मैं
रुसवा कर दिया अपने आँचल से मुझे
क्यूँ कर दी ज़िन्दगी की शाम, सुबह होने से पहले
पालना तेरा बुलाता है मुझे माँ
क्यों फर्श पर छोड़ दिया मुझे
चलना सीखने से पहले
कसूर सिर्फ इतना था मेरा कि बेटी हूँ मैं
प्यार मेरे दिल में भी कम नहीं
एक मौका देकर तो देखती माँ
आंसू तेरा कभी गिरने न देती
मेहनत तेरी मैं बांट लेती
अपने पैरों में बंधी पायल की छन-छन से
घर में रौनक मैं ला देती
पर तूने माँ ना जन्मा मुझे
दूर कर दिया खुद से पास आने के पहले
कसूर सिर्फ इतना था मेरा कि बेटी हूँ मैं
जीने का एक मौका देकर तो देखती माँ
तेरे आंगन की धूप बन जाती
तो कभी पेड़ की ठंडी छाँव बन बिछ जाती
ना बनती कभी बोझ तुम पर
तेरे बुढ़ापे का सहारा मैं बन जाती
क्यों उजाड़ दी बचपन की बगिया खिलने से पहले
कसूर सिर्फ इतना था मेरा कि बेटी हूँ मैं....