रविवार, 13 अक्टूबर 2013

‘I wish I had Smart Suraksha with me’

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मैं एक पत्रकार हूँ, रिपोर्टिंग के सिलसिले में आये दिन मुझे मुसीबतों का सामना करना पड़ता है...पर कभी कभी मेरे सामने ऐसी स्थितियाँ भी आ जाती है, जिनका मुकाबला मुझे अपने साहस और धैर्य से करना पड़ता है...

बात उस समय की है जब मुझे ऑफिस से घर निकलने में देर हो गयी थी...मेरे ऑफिस से घर तक का रास्ता थोड़ा सुन्सान है...हर दिन की तरह उस दिन भी मैं अपनी स्कूटी से घर जा ही रही थी...कि मेरे बायीं तरफ दो बाइक सवार लड़के बराबर में चलने लगे...और बुरी से बुरी फब्तियां कसने लगे...यहाँ तक की वो मुझे उनसे आगे भी निकलने नहीं दे रहे थे....उनसे बचने के लिए मैंने जैसे ही स्कूटी दायीं तरफ घुमानी चाही...तभी एक कार ने मुझे पीछे से टक्कर मारनी चाही...मैं किसी को फ़ोन भी नहीं कर सकती थी क्यूंकि फ़ोन पर्स की पॉकेट में था....वो सब शायद एक साथ मिलकर मुझे घेरना चाह रहे थे...तभी उनमे से एक लड़के ने कार का दरवाज़ा खोला और चिल्लाने लगा..."खींच लड़की को जल्दी अन्दर खींच" 

मैं बहुत घबरा गयी...लेकिन मैंने अपना धैर्य नहीं खोया....मैंने सामने एक दुकान में बल्ब जलते हुए देखा...और स्कूटी की रफ़्तार तेज़ करते हुए उस दुकान में जा पहुची...जहाँ कुछ औरते बैठकर सिलाई का काम कर रही थी....मेरे वहां पहुचते ही, उन् लडको ने अपना रास्ता बदल लिया और वहां से चले गए....उस वक़्त मुझे महसूस हुआ ‘I wish I had Smart Suraksha with me’ काश मेरे पास स्मार्ट सुरक्षा जैसा एप होता....

कुछ समय उस दुकान में रुक कर मैं सुरक्षित अपने घर पहुच गयी...वो मेरी ज़िन्दगी का ऐसा समय था जिसमे अगले ही पल मेरी ज़िन्दगी या तो ख़तम हो सकती थी...या फिर अपने साहस में बच  सकती थी....मैंने दूसरा रास्ता चुना और साहस दिखाते हुए उन लडको को उनके मंसूबों में कामयाब नहीं होने दिया....


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