शुक्रवार, 1 नवंबर 2013

उल्लू चालीसा


उल्लू चालीसा..
सहयोगी- मनीष तिवारी
उल्लू बन गए उल्लू बन गए
बाबा जी के ठुल्लू हो गए
उल्लू बनकर उड़ने लग गए
लक्ष्मी जी की सवारी बन गए
उल्लू बनके मौज उड़ावैं
सारे जग को वो भरमावैं
अब धरती पे टिकते नहीं पांव
जब से इनके पंख लग गए
उल्लू बन गए उल्लू बन गए
उल्लू बनकर उल्लू हो गए
बाबा जी के ठुल्लू हो गए
लक्ष्मी-लक्ष्मी करें पुकारा
जो कोई आवे, जो कोई जावे
सब पर कृपा इनकी होवे
टुकु टुकुर ये करें निहारा
आँखे बड़ी करके बोले
उल्लू बन गए उल्लू बन गए
बाबा जी के ठुल्लू हो गए
धन की लालसा जिसको होवे
उल्लू बनके पेड़ा खावे
सारा माल यहीं पचाते
जो कोई बनता सयाना मुर्गा
उसको दाना यहीं चुगाते
चाणक्य बुद्धि ये लगाते
सारी लक्ष्मी घर ले जाते
उल्लू से जो बैर हैं लेते
लक्ष्मी जी से हाथ हैं धोते
सुबह शाम करो इनका ध्यान
बन जावेंगे बिगड़े काम
जो न इनका ध्यान करते
रह जाते वे हाथ मलते
दिन में फुर्र रात को गाते
उल्लू बन गए उल्लू बन गए
बाबा जी के ठुल्लू हो गए....

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